*जहांगीरगंज थाने में पंजीकृत मुकदमा अपराध संख्या 110 /24 के आरोपियों पर मेहरबान बनी हुई है जहांगीरगंज पुलिस*
*मुकदमा पंजीकृत होने के 20 दिन बाद भी जहांगीरगंज पुलिस नहीं कस पाई आरोपियों पर शिकंजा । नहीं हुई अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई*
*जहांगीरगंज थाना क्षेत्र के माडर मऊ रोड स्थित अमन मेडिकल/ जे.पी हॉस्पिटल पर अपर सीएमओ के नेतृत्व में स्वास्थ्य महकमे की टीम ने पुलिस बल के साथ मारा था छापा*
*छापे के दौरान बगैर किसी पंजीयन के अवैध रूप से होता पाया गया था नर्सिंग होम का संचालन*
*छापे के दौरान ही ,वहां पर जामवंत यादव पुत्र गिरधारी यादव एवं जामवंत की पत्नी रेनू यादव चिकित्सा अभ्यास करते पाए गए थे*
*तथा वहां पर भर्ती मिले थे कई मरीज जिन्हें CHC जहांगीरगंज में किया गया था शिफ्ट*
*अवैध रूप से नर्सिंग होम का संचालन छापे के दौरान होता मिलने पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं थानाध्यक्ष जहांगीरगंज अतुल श्रीवास्तव तथा सीएचसी अधीक्षक की मौजूदगी में अवैध नर्सिंग होम को किया गया था सील*
*सीएचसी अधीक्षक उदय चंद यादव की तहरीर पर जहांगीरगंज थाने में आरोपी जामवंत पुत्र गिरधारी एवं जामवंत की पत्नी रेनू यादव के विरुद्ध मुकदमा अपराध संख्या 110 /24 धारा 420, 421 आईपीसी एवं औषधि नियंत्रण अधिनियम 1950 की धारा 15 के तहत पंजीकृत हुआ था मुकदमा*
*मुकदमा पंजीकृत होते ही शुरू हो गया खेल*
*पहले तो मुकदमे की विवेचना के लिए आरोपियों के सजातीय उप निरीक्षक को ही बनाया गया विवेचक*
*मुकदमे के वादी CHC अधीक्षक डॉक्टर उदय चंद की माने तो अभी तक उन्हें नहीं दी गई जहांगीरगंज थाने से F.I.R की प्रमाणित कॉपी*
*विवेचक हरिकेश यादव 20 दिन में आरोपियों पर शिकंजा कस पाना तो दूर वादी का बयान अंकित करना भी नहीं समझे मुनासिब*
*जिसको लेकर तरह-तरह की हो रही चर्चाएं*
*जहांगीरगंज थाने के इस बहुचर्चित प्रकरण में जब जहांगीरगंज पुलिस का यह हाल तो अन्य मामलों में किस कदर होती होगी विवेचना और कैसे की जाती होगी कार्यवाई इसको लेकर भी सवाल उठना है लाजमी*
*ऐसा तब है जब पूर्व में भी मामले के मुख्य आरोपी के विरुद्ध जहांगीरगंज थाने में ही पंजीकृत हुआ था एक और मुकदमा*
*एक चर्चित गंभीर प्रकरण मे पुलिस अधीक्षक अंबेडकर नगर द्वारा गठित की गई SIT ने भी सौंप थी कार्यवाई के लिए उपरोक्त प्रकरण के मुख्य आरोपी के विरुद्ध अपनी जांच रिपोर्ट*
*बावजूद इसके उक्त मामले में कार्यवाही तो दूर ताजा पंजीकृत मामले में भी नहीं हो पा रही प्रभावी कार्यवाई ।*